अनामिका की सदायें
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कहते हैं ..
प्यार वरदान है
जीवन को
जिसे मिल जाए
वो स्वर्ग सा
सुख पा लेता है
इसी मृत्यु लोक में !
लेकिन ……
ये सच नहीं है,
प्यार तो बहुत
निर्मम है….
जो न तो भय से
बाँधा जा सकता है,
न ही अधिकार से
पाया जा सकता है !
मैंने सुना था….
प्यार चाहता है
विश्वास का
खुला आसमान ..
और चाहता है
निरंतर फैलाव !
बन्धनों की
दुष्कर दीवार भी
असहनीय है इसे !
यह सोच …
मैंने भी तो
सारे बंधन
खोल दिए थे….
दे दी थी
दूर तक
फैली ज़मीन ..
और…..
खुला आसमान !!
लेकिन……
बंज़र रेगिस्तान…,
बेचारगी से सना
असीम अकेलापन …
और अंत में
कर दिया गया
मेरा परित्याग ….!!
क्या यही प्यार है ????
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